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बेटियाँ -लेखनी प्रतियोगिता -11-Mar-2022


घर की लक्ष्मी और ममता का प्रतिरूप
प्यारी बेटियाँ होती है पिता का गुरूर। 
आँगन की तुलसी और माँ का सम्मान
अनमोल बेटियाँ बचाती राष्ट्र का मान।

घर की खुशियाँ और ईश्वर का वरदान
रक्षक बन जाती बेटियाँ कर महादान। 
कभी दुर्गा कभी काली होती है बेटियाँ 
शक्ति स्वरूपी ज्ञानप्रदायिनी है बेटियाँ। 

 कभी लक्ष्मीबाई तो कभी पन्ना धाय
 कभी मदर टेरेसा कहलाती है बेटियाँ 
 समझो ना इसे अबला,  है सहनशील
 काली का अवतार भी होती है बेटियाँ। 

 चौका बर्तन तक रहीं नहीं है सीमित
 अंतरिक्ष में भरने लगीं उड़ान बेटियाँ 
 बाबुल की लाडली और माँ की जान 
 होती दो घरों की पहचान बेटियाँ। 


स्वरचित व मौलिक रचना 
डॉ. अर्पिता अग्रवाल 
नोएडा, उत्तरप्रदेश

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14 Comments

Shrishti pandey

12-Mar-2022 04:00 PM

Nice

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Punam verma

12-Mar-2022 07:58 AM

Nice

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Abhinav ji

11-Mar-2022 11:28 PM

Nice

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Dr. Arpita Agrawal

12-Mar-2022 12:15 AM

Thank you Abhinav ji

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